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प्रदेश के 11 वायरोलॉजी लैब में 350 लोगों की टीम ने जांचे 20 लाख से अधिक सैंपल :  प्रदेश में हुए कुल आरटीपीसीआर जांच का 90 प्रतिशत इन 11 लैबों में जांचे गए

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जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना का काम शुरू

रायपुर. 19 मई 2021कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए प्रदेश में संचालित 11 वायरोलॉजी लैब में अब तक (18 मई तक) 20 लाख 19 हजार 088 सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच की गई है। यह प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरूआत के बाद से हुए कुल आरटीपीसीआर जांच का 90 प्रतिशत है। इन लैबों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंचने वाले सैंपलों की जांच में 350 लोगों की टीम लगी हुई है जो कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच दिन-रात अलग-अलग पालियों में काम कर लगातार जांच कर रहे हैं।प्रदेश में अब तक कुल 22 लाख 50 हजार 616 सैपलों की आरटीपीसीआर जांच हुई है। इनमें से 20 लाख 19 हजार 088 सैंपल प्रदेश के 11 सरकारी लैबों में और दो लाख 31 हजार 528 निजी क्षेत्र के लैबों में जांचे गए हैं। एम्स रायपुर सहित प्रदेश के नौ शासकीय मेडिकल कॉलेजों रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा, महासमुंद और कांकेर तथा कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में स्थापित वॉयरोलॉजी लैबों में 20 माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, पांच सीनियर सांइटिस्ट, सात जूनियर साइंटिस्ट, 164 लैब टेक्नीशियन, 61 लैब अटेंडेंट और 70 डॉटा-एन्ट्री ऑपरेटर इस काम में लगे हुए हैं। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव के निर्देश पर जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना का काम शुरू कर दिया गया है। रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब में सबसे अधिक सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच हुई है। वहां अब तक तीन लाख 70 हजार 761 सैंपल जांचे गए हैं। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में तीन लाख 60 हजार 025, रायपुर मेडिकल कॉलेज में तीन लाख 46 हजार 741, राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में दो लाख 77 हजार 425, एम्स रायपुर में दो लाख 50 हजार 985, सिम्स बिलासपुर में दो लाख छह हजार 445, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एक लाख 93 हजार 181, कांकेर मेडिकल कॉलेज में 5036, महासमुंद मेडिकल कॉलेज में 4816, कोरबा मेडिकल कॉलेज में 877 और बैकुंठपुर वॉयरोलॉजी लैब में 796 सैंपलों की जांच हुई है।वायरोलॉजी लैब में सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच के लिए संभावित मरीजों के सैम्पल के लाइसिस के बाद आरएनए को बाहर निकाला जाता है। फिर इस आरएनए से आरटीपीसीआर प्रक्रिया के माध्यम से वायरस की पहचान की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, सीनियर सांइटिस्ट, जूनियर साइंटिस्ट, लैब टेक्निशियन और लैब अटेंडेंट की जरूरत होती है। एम्स रायपुर में डॉ. अनुदिता भार्गव, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में डीन डॉ. रमनेश मूर्ति, रायपुर मेडिकल कॉलेज में डॉ. निकिता शेरवानी, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनुभा, सिम्स बिलासपुर में डॉ. सागारिका प्रधान और डॉ. रेखा बारापात्रे, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनिल सिंह, महासमुंद मेडिकल कॉलेज में डॉ. ओंकार कश्यप, कांकेर मेडिकल कॉलेज में डॉ. मिथलेश मरकाम और डॉ. आलोक साहू, कोरबा मेडिकल कॉलेज में डॉ. घनश्याम जात्रा और बैकुंठपुर में डॉ. धिरेन्द्र चिकनजुरी के मार्गदर्शन में वायरोलॉजी लैब का सुचारू संचालन किया जा रहा है। वरिष्ठ फैकल्टी एवं सीनियर साइंटिस्ट के रूप में डॉ. संजय नेगी, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. देबाशीष समल, डॉ. नितेश कोड़पी, डॉ. शिवचन्द्र एवं डॉ. शाहिना हुसैन इन लैबों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।