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जय जोगिया स्व सहायता समूह की कृषि सखी मानमती ने जैविक कृषि को बनाया अपने आजीविका का आधार

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रिपोर्ट – अभिजीत मुखर्जी


कोरिया / कोरिया जिले के विकासखंड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम मुक्तियारपारा की जय जोगिया स्व सहायता समूह की कृषि सखी मानमती राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) बिहान के सामाजिक और आर्थिक विकास के सिद्धांतों का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए जैविक कृषि का कार्य कर रही है और अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए जैविक कृषि आजीविका को अपने आय का सशक्त जरिया बना चुकी है ।
विकासखंड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम मुक्तियारपारा में जय जोगिया स्व सहायता समूह है जिसमें 10 महिलाए है । जय जोगिया स्व सहायता समूह बिहान योजना द्वारा संचालित है जिसका गठन दिनांक 31.10.2017 को करके क्षमता वर्धन कार्य विकासखंड मिशन प्रबंधन इकाई के कुशल स्टाफ एवं केडर के द्वारा किया गया है । जय जोगिया स्व सहायता समूह के सभी सदस्यों की प्रमुख आजीवका कृषि है जिसमें वे अपना जीवन निर्वाह किया करते है, बिहान योजना से जुडने के उपरांत समूह की सदस्य मानमती ने कृषि सखी के रूप में अपना कार्य प्रारम्भ किया, जिन्होंने कृषि सखी का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने लिए आजीविका का एक और स्त्रोत प्रारम्भ किया । जब महिला घर के साथ खेती बाड़ी की जिम्मेदारी सँभालती है, तो उसे भी वह व्यवस्थित तरीके से करती है ।
जैविक खेती अपनाकर मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के ग्राम मुक्तियारपारा की कृषि सखी मानमती जैविक खेती से मुनाफा कमा रही है और अपने जमीन को भी उपजाऊ बना रही है । कुछ वर्ष पहले उनके घर में परम्परागत खेती होती थी, प्रचलित आधार पर बुवाई की जाती थी। इसके साथ ही साथ रासायनिक खाद व कीटनाशक  का उपयोग किया जाता था,  जिससे न केवल लागत खर्च बढ जाता था, बल्कि उत्पादन भी उम्मीद के मुताबिक नहीं होता था ।  बिहान से जुड़ने के पश्चात एवं सवहनीय कृषि कार्यक्रम अंतर्गत मानमती को कृषि सखी का प्रशिक्षण दिया गया । प्रशिक्षण में जैविक खाद का उपयोग किस तरह किया जाए एवं बुवाई कैसे किया जाए इसे व्यावाहरिक तरीके से बताया गया। साथ ही साथ जैविक खेती करने को प्रेरित किया गया । इससे प्रभावित होकर मानमती ने समूह से आरएफ व सीआईएफ की राशि को ऋण के रुप में  लेकर अपने लगभग 3 एकड कृषि योग्य भूमि में सब्जी व श्री विधि से धान उगाने लगी । खेत में वह अब जैविक खाद व कीटनाशक का प्रयोग करने लगी है, जिससे लागत कम आय एवं गुणवत्तायुक्त फसल उत्पादन  प्राप्त हो । जैविक खेती करने से अब लागत कम आ रही है जिससे मुनाफा बढ़ गया है । इस प्रकार कृषि  सखी  प्रतिवर्ष 80 हजार रूपए आय प्राप्त कर रही है । कृषि सखी बन कर मानमती अपने ग्राम में एक अलग पहचान स्थापित कर समूह के सदस्यों की आदर्श बन चुकी है । मानमती अब अपने ग्राम की अन्य महिला किसानो को जैविक खेती करने हेतु प्रेरित कर रही है ताकि वो भी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर अपने खेत की मृदा को उपजाऊ बनाए । इस प्रकार  कृषि सखी ने जैविक खेती को अपने आजीविका का सशक्त जरिया बनाया है।
समूह गठन के बाद से ही कृषि सखी मानमती अपने आर्थिक विकास के लिए कुछ न कुछ आजीविका गतिविधि करना चाहती थी इसलिए वे समूह के 11 सूत्रों का नियमतः पालन करते हुए आरएफ की राशि निश्चित समय मे प्राप्त कर ली, और समूह से ऋण के रूप में आरएफ की राशि रु. 15 हजार लेकर जैविक कृषि का कार्य प्रारम्भ किया । जिससे लागत कम आय एवं गुणवतायुक्त फसल उत्पादन  प्राप्त हो । जैविक खेती करने से अब लागत कम आ रही है जिससे मुनाफा बढ़ गया है । इस प्रकार कृषि सखी दीदी प्रतिवर्ष 80 हजार रूपए आय प्राप्त कर रही है ।
उल्लेखनीय है कि बिहान छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों मे निवासरत महिलाओं एवं युवतियों को एसडबल्यू सहायता समूह के रूप मे गठित कर एवं उन्हे प्रेरित कर  स्व रोजगार से जोड़े जाने की अति महतवाकांछी योजना है । आज  छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) बिहान की महिलाएं सहायता समूह से जुड़ कर सफलता की नयी कहानियाँ लिख रही है, तथा अपने सपने को पंख दे कर नयी उड़ान के लिए तैयार है । तीनों स्तर की पंचायतों एवं एनआरएलएम बिहान टीम की सहायता से इन महिलाओं को शस्क्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ।