मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अनुकंपा नियुक्ति पर दस प्रतिशत की सीमा को किया गया था शिथिल
चार युवाओं को मिली कलेक्ट्रेट में नियुक्तिि
दुर्ग 31 मई 2021अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों में दस प्रतिशत की सीमा शिथिल करने के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्णय से युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के द्वार खुल गये हैं। यह सीमा 31 मई तक शिथिल की गई है। 10 प्रतिशत की सीमा के शिथिल होने से कलेक्ट्रेट में चार अधिकारी-कर्मचारियों के बच्चों के लिए रोजगार का रास्ता खुल गया जो इस सीमा के बाहर थे। आज कलेक्ट्रेट में इन युवाओं को कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कलेक्ट्रेट कार्यालय के लिए नियुक्ति पत्र सौंपे। आज चार युवाओं को नियुक्ति पत्र मिले। इनमें सौरभ भादुड़ी को सहायक ग्रेड-3 के पद पर नियुक्ति मिली। उनके पिता श्री सुमीत कुमार भादुड़ी पाटन तहसील कार्यालय में नायब तहसीलदार के रूप में कार्यरत थे। श्री सुमीत की बीते दिनों मृत्यु हो गई थी। इनमें सहायक ग्रेड -3 पर सुश्री ऐश्वर्या राव को नियुक्ति मिली। इनके पिता श्री ए शंकर राव धमधा में सहायक ग्रेड-3 पद पर नियुक्ति थे। इनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हुई थी। इसी पद पर एस. अभिषेक की नियुक्ति भी हुई, वे कलेक्ट्रेट में वाहन चालक श्री सुरेश कुमार के पुत्र हैं श्री कुमार की मृत्यु 27 फरवरी 2020 को हुई थी। चौथी नियुक्ति श्री तेजेंद्र साहू की हुई इनकी माता श्रीमती खेमिन साहू तहसील कार्यालय में रीडर थीं। इन्हें भी सहायक ग्रेड-3 के पद पर नियुक्त किया गया है। अभी दो प्रकरणों पर कार्रवाई जारी है जिन्हें शीघ्र ही नियुक्ति मिल जाएगी। नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के पश्चात इन युवाओं ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्णय से हमारे परिवार को बड़ी राहत मिली है। सुश्री ऐश्वर्या ने बताया कि इस निर्णय से अनेक परिवारों को लाभ पहुँचेगा जिनके अभिभावक शासकीय सेवा में थे और जिनका असमय देहावसान हो गया। सुश्री ऐश्वर्या ने बताया कि कैबिनेट के निर्णय के बाद यह उम्मीद थी कि जल्द ही अनुकंपा नियुक्ति मिल जाएगी लेकिन यह नियुक्ति एक हफ्ते के भीतर ही हो जाएगी, यह मालूम नहीं था। आज 11 बजे मेरे पास फोन आया और बताया गया कि आपका नियुक्ति आदेश आ गया है। मैंने घर में सभी को जानकारी दी और सबको बहुत अच्छा लगा। श्री तेजेंद्र साहू ने बताया कि मेरी मम्मी तहसील आफिस में थीं, कोविड की वजह से वो नहीं रहीं। माँ हम सबका संबल थीं, अब मुझे भी उनकी जिम्मेदारियों का अपनी क्षमता से निर्वाह करना है।