उत्तर बस्तर कांकेर 12 सितम्बर 2021‘लोकवाणी‘ की 21वीं कड़ी का आयोजन सिंगारभाट के हाई स्कूल में आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ‘‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह‘‘ विषय पर प्रदेशवासियों से मुखातिब होते हुए प्रदेशवासियों को गणेश उत्सव, नवाखाई और विश्वकर्मा जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में विकास के लिए जो मॉडल प्रस्तुत किए हैं, उसमें नए-नए तरीकों से काम करने की बहुत संभावनाएं हैं और यही वजह है कि आर्थिक मंदी और कोरोना संकट के समय भी छत्तीसगढ़ में सुरक्षा के साथ आर्थिक, सामाजिक और रोजगारोन्मुखी गतिविधियां चलती रहीं है। कांकेर जिले विकासखंड दुर्गूकोंदल के ग्राम गोटुलमुंडा निवासी निर्मला भास्कर ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं किसान विकास समिति की सदस्य हूं 27 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के कांकेर प्रवास के दौरान हमारी समिति के सदस्यों द्वारा लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की मांग की गई, जिसे पूरा करते हुए मुख्यमंत्री जी द्वारा तत्काल घोषणा कर हमारे मांग को पूर्ण किया गया तथा जिला प्रशासन की ओर से शीघ्र ही हमारे ग्राम गोटुलमुंडा में लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई। विगत दो माह में लगभग 100 क्विंटल प्रसंस्करण की हुई कोदो, कुटकी, एवं रागी को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ियों को प्रदाय किया जा चुका है, इससे हमारे समूह को लगभग एक लाख तीस हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हुई है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारी मांग को पूरा किए इसके लिए हम सभी समिति सदस्यों की ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद दिये। इसी प्रकार जिले के सिंगारभाट निवासी दिव्या मरकाम ने भी मुख्यमंत्री से चर्चा करते हुए बताया कि लघु धान्य का प्रसंस्करण करने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र सिंगारभाट, कांकेर में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना 27 जनवरी 2021 को की गई है, जिसका संचालन हमारे समूह लक्ष्मी स्वसहायता समूह द्वारा किया जा रहा है, जिसमें महिला एवं पुरुष मिलकर 12 सदस्य हैं। विगत 6 माह में लगभग 49 से 50 क्विंटल प्रसंस्कृत कोदो, कुटकी एवं रागी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्रदाय किया जा चुका है। इससे हमारे समूह को लगभग 02 लाख 35 हजार 820 रुपए की आमदनी हुई है, इकाई स्थापना के लिये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित किये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु धान्य फसलों का उत्पादन छत्तीसगढ़ के ऐसे हिस्सों में होता है, जहां का तापमान बहुत अधिक नहीं होता। जहां का तापमान राज्य के औसत तापमान से कम होता है। ये फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती हैं लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी- रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 03 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 03 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है। इसके अलावा कोदो-कुटकी-रागी जैसी फसलों के वेल्यूएडिशन का काम भी बड़े पैमाने पर किया जाएगा, जिसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि और प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी। निर्मला और दिव्या बहन ने स्वयं ही बताया है कि कोदो 25 रुपए प्रति किलो की दर से क्रय करके प्रसंस्करण करने के बाद 65 रुपए प्रति किलो की दर से विक्रय कर रहे हैं। वहीं मड़िया 35 रुपए प्रति किलो की दर से क्रय कर 50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय कर रहे हैं। यह है प्रसंस्करण का कमाल। सोचिए कि वृहद पैमाने पर यह काम किया जाएगा तो आप लोगों की आय कितनी अधिक बढ़ जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के आंकड़े महीने में दो बार अपडेट होते हैं इसलिए हाल के, 8 सितम्बर के आंकड़े से एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस योजना से क्या लाभ मिल रहा है। अभी तक गोबर बेचने वालों को 100 करोड़ 82 लाख रुपए, महिला स्वसहायता समूह को 21 करोड़ 42 लाख रुपए तथा गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से 01 लाख 77 हजार 437 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें भूमिहीनों की संख्या 79 हजार 435 है। प्रतिशत में देखें तो 44 दशमलव 48 प्रतिशत महिलाएं, 40 दशमलव 78 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 7 दशमलव 71 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 47 दशमलव 88 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग लाभान्वित हुए हैं। वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट तथा सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन 11 लाख क्विंटल से अधिक हो चुका है और करीब 08 लाख क्विंटल की बिक्री भी की जा चुकी है। यह रूझान बताता है कि छत्तीसगढ़ में जैविक खाद के उपयोग के लिए तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। 1 हजार 634 गौठान आत्मनिर्भर बन चुके हैं। बाड़ी के बारे में बात करेंगे तो आंकड़ा 02 लाख पार कर चुका है। इस अवसर पर सरपंच सिंगारभाट पन्नालाल ठाकुर, उप सरपंच नेमसिंह नागे, प्राचार्य गीता राठौर, प्रधानअध्यापक सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव, व्याख्याता दंतेश्वरी तिवारी, पीपी सोनेल, अलिखिलेश्कर शर्मा, सचिव सिंगारभाट राजकुमार सलाम, कांकेर चिंताराम यादव, चन्द्रकला नेताम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जानकी कोर्राम सहित स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। लोकवाणी का आगामी प्रसारण 10 अक्टूबर को होगा, जिसमें मुख्यमंत्री ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ विषय के भाग दो पर चर्चा करेंगे, जिसमें नवाचारों, नए कदमों, नई योजनाओं के बारे में बात की जाएगी। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल 27, 28 और 29 सितम्बर, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन नम्बर 0771-2430501, 2430502, 2430503 पर रिकार्ड करा सकते हैं।