- बाबा गुरू घासीदास का संदेश आज भी प्रासंगिक – मुख्यमंत्री बघेल
- लालपुर धाम में बाबा गुरू घासीदास जयंती पर मुख्यमंत्री की घोषणा
- शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल को अब गौटिया स्व. अंजोर दास पाटले के नाम से जाना जाएगा
- मुख्यमंत्री ने मंगल भवन का किया लोकार्पण
रायपुर, 19 दिसम्बर | Guru Ghasidas jayanti : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बाबा गुरू घासीदास जी का संदेश आज भी प्रासंगिक है। छत्तीसगढ़ बाबा गुरू घासीदास जी के बताये गये सत्य, अहिंसा, भाईचारा, बंधुत्व, समानता और सद्भाव जैसे मार्गों पर चलकर तीव्र गति से विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
आने वाले समय में भी बाबा (Guru Ghasidas jayanti) गुरू घासीदास के बताये मार्ग पर चलकर छत्तीसगढ़ देश का समृद्धि राज्य बनेगा। मुख्यमंत्री बघेल विकासखण्ड लोरमी के ग्राम लालपुर धाम में आज बाबा गुरू घासीदास जयंती (गुरू पर्व) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर उन्होंने गौटिया स्व. अंजोर दास पाटले के नाम को चिरस्थायी बनाने के लिए ग्राम लालपुर धाम में संचालित शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल को गौटिया स्व. अंजोर दास पाटले के नाम पर करने की घोषणा की। अब शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल लालपुर, गौटिया स्व. अंजोर दास पाटले के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री बघेल ने आम लोगों को बाबा (Guru Ghasidas jayanti) गुरू घासीदास जयंती की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में गुरू घासीदास जयंती को श्रद्धा, आदर और उत्साहपूर्ण वातावरण में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सत्य ही मानव का आभूषण है। उन्होंने बाबा गुरू घासीदास के संदेशों का अनुशरण करने की बात कही।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बाबा गुरू घासीदास ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना संकट काल के दौरान प्रवासी श्रमिक बड़ी कठिनाईयों का सामना करते हुए सड़क और अन्य मार्गों से आ रहे थे।
ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों, जिला और पुलिस प्रशासन, सामाजिक संगठन और मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकताओं सहित विभिन्न विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने उनके लिए भोजन, पानी, दवाई आदि की व्यवस्था की गई। यह सब बाबा गुरू घासीदास के आशीर्वाद से ही संभव हो सका।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश के हर परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न हो। उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले। इसके लिए प्रदेश में सरकार की ओर से कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन हुआ है। अब तक 28 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि बारदाना की कमी को देखते हुए किसानों के बारदानों में धान खरीदी करने का निर्णय लिया गया है। किसानों के बारदानों से धान खरीदने पर उन्हें प्रति बारदाने 25 रूपये के मान से राशि दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत गो-पालकों और चरवाहों से गोबर की खरीदी की जा रही है। गो-पालकों और चरवाहों के बैंक खाते में अब तक 108 करोड़ रूपये दिये गये है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसे अनेक प्रकार की लाभकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
इन योजनाओं के संचालन से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुए है। यह बाबा की आशीर्वाद से ही संभव हुआ है। मुख्यमंत्री बघेल ने समाज के आस्था और विश्वास के प्रतीक जोड़ा जैतखाम की पूजा अर्चना की और लोगों की समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम में समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री बघेल को गजमाला पहनाकर उनका स्वागत किया।
प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 17 दिसम्बर 2018 को शपथ ली उसके दूसरे दिन अर्थात् 18 दिसम्बर 2019 को बाबा गुरू घासीदास जयंती में शामिल हुए। उसी दिन मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार बाबा गुरू घासीदास के बताये मार्ग पर चलेगा और छत्तीसगढ़ सरकार बाबा की बताये गये मार्ग पर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई अधिकांश घोषणा पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में स्वच्छता आधारित सर्वेक्षण किये गये। इस सर्वेक्षण में पूरे देश में छत्तीसगढ़ को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। जिस पर छत्तीसगढ़ गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद सबसे पहले किसानों की ऋण माफी का निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर सतनाम कल्याण समिति बंधवा के अध्यक्ष गौटिया फणीश्वर पाटले, नरेश पाटले, राजमंहत भुनेश्वर पाटले, छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, सहकारिता बैंक के अध्यक्ष प्रमोद नायक, जिला पंचायत अध्यक्ष लेखनी सोनू चंद्राकर, बिलासपुर जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण चौहान, जनपद पंचायत लोरमी के अध्यक्ष मीना नरेश पाटले, वरिष्ठ नागरिक सागर सिंह बैस सहित समाज के गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में बाबा गुरू घासीदास के अनुयायी मौजूद थे।