सी-मार्ट (छत्तीसगढ़-मार्ट) यानी की एक ऐसा बाजार जहां पर सभी प्रोड्क्टस एक ही छत के नीचे मिलेंगे और यह उत्पाद किसी बड़े दुकानदार से नहीं बल्कि उन महिलाओं, शिल्पिकार, बुनकर, दस्तकर, कुम्भकर और अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योग से खरीदे जाएंगे जो गांव में तैयार किये जाते हैं। यह वह महिलाएं, संस्था हैं जो गांव में रहते हुए स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम कर रही है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष ने जिले का पहला सी-मार्ट का लोकार्पण किया। यह सी-मार्ट जांजगीर के ह्रदय स्थल कचहरी चौक के पीछे बनाए गए जिम, लाइब्रेरी भवन में संचालित है। जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीण कामकाजी महिलाओं कोे मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी की मंशानुरूप ही जिले में सी-मार्ट बनने से अब एक ही छत के नीचे राशन सहित विभिन्न स्थानीय उत्पाद बाजार से किफायती दरों पर उपलब्ध होगी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री महंत रामसुन्दर दास, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती यनीता चन्द्रा, उपाध्यक्ष श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, नगर पालिका परिषद जांजगीर-नैला अध्यक्ष श्री भगवानदास गढेवाल, सदस्य अन्य भवन सन्निर्माण कर्मकार मण्डल श्रीमती मंजू सिंह, नैला मंडी अध्यक्ष श्री ब्यासनारायण कश्यप, कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा, एसपी श्री विजय अग्रवाल, डीएफओ श्री सौरभ सिंह, जिला पंचायत सीईओ डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी, सर्वश्री रमेश पैगवार, दिनेश शर्मा, सूरज महंत, रवि पांडेय, श्रीमती शेषराज हरबंश, श्रीमती पुष्पा पाटले, देवेश सिंह एवं पार्षदगण सहित नागरिकगण उपस्थित थे।
सी-मार्ट मील का पत्थर साबित: डॉ महंत
डॉ महंत ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने सी-मार्ट मील का पत्थर साबित होगा। वर्तमान में अलग-अलग समूह की महिलाओं द्वारा गांवों में उत्पाद तैयार किये जाते हैं, जिन्हें हाट बाजार एवं आसपास के दुकानदारों को बेचकर मुनाफा कमाती हैं, लेकिन सी-मार्ट के खुलने से इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद को शहरों में आसानी से बेच सकेंगे और शहरों के अन्य दुकानदार भी यहां से सामान खरीद सकेंगे। उन्होंने आज सी-मार्ट में स्थानीय स्व सहायता समूहों द्वारा लगायें गये स्टॉल से तिरंगा झंडा खरीदा। महिला समूहों को मिलेगी नई पहचान
पारंपरिक उत्पादकों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रेडिंग एवं मार्केटिंग के बारे में विस्तार से महिला स्व सहायता समूहों को बताया जाएगा। जिसके बारे में विभिन्न विभागों के समन्वय करते हुए उन्हें सिखाया जाएगा। इससे स्व सहायता समूहों की महिलाओं को नई पहचान मिलेगी और उनका गांव से निकलकर उत्पाद शहरों में आसानी से बिक सकेगा।