नई दिल्ली । बीजेपी नेतृत्व किसी भी नेता को दो बार से अधिक राज्यसभा भेजने के पक्ष में नहीं है और इसीलिए राज्यसभा के रास्ते मंत्रिपरिषद में मौजूद कई नेताओं को चुनाव के मैदान में उतर कर सीधे जनता से आशीर्वाद मांगने को कहा जा सकता है। खबर है कि इसी के मद्देनजर राज्यसभा के जरिए मंत्री बने कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव की लड़ाई की तैयारी शुरू भी कर दी है। इसी के साथ बीजेपी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा लोकसभा सांसदों का टिकट भी काट सकती है। खासतौर से उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में ऐसा बड़े पैमाने पर हो सकता है। उनकी जगह युवा उम्मीदवारों को जगह दी जा सकती है। वैसे भी 75 पार से ऊपर के नेताओं को चुनावी राजनीति से हटाने के बीजेपी के अघोषित नियम के तहत कई मौजूदा सांसदों और मंत्रियों पर तलवार लटक रही है।
मुख्तार अब्बास नकवी को कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, क्योंकि वे दो बार राज्यसभा सांसद थे और पार्टी ने उन्हें तीसरी बार राज्य सभा नहीं दी। इसी के बाद से ऐसे मंत्रियों पर फोकस है, जो दो या उससे अधिक बार से राज्यसभा के सांसद हैं। कई ऐसे मंत्री भी हैं जो चाहे राज्यसभा में पहली बार आए हों, लेकिन पार्टी उनकी लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए उन्हें लोक सभा चुनाव में खड़ा कर सकती है।
दो या उससे अधिक बार राज्य सभा पाने वाले सात मंत्री हैं, जो कि इस समय केंद्रीय मंत्रिपरिषद में हैं। पहली बार राज्य सभा में आए मगर राजनीति में अनुभवी इन मंत्रियों पर भी नजर है। इन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है। इन मंत्रियों को कई कठिन लोक सभा सीटों की जिम्मेदारी भी दी गई है। महासंपर्क अभियान के तहत भी इन्हें जमीन पर उतारा गया है। इसी के साथ रोजगार मेलों में भी इन मंत्रियों की मौजूदगी अहम रही है।
इन मंत्रियों ने उन राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, जहां से उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना हो सकती है। दो या उससे अधिक बार राज्य सभा में आए मंत्रियों में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।
इनके अलावा कुछ ऐसे मंत्री भी हैं, जिनका चुनावी राजनीति में अनुभव है, लेकिन फिलहाल वे राज्यसभा में हैं। इनमें नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, एमएसएमई मंत्री नारायण राणे और आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल शामिल हैं। इनके अलावा दो ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से गहरी छाप छोड़ी है। इनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शामिल हैं।