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नन्हें तैराकों का टूट रहा ओलंपियन बनने का सपना……

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एक ओर जहां खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर 12 बच्चों का ओलंपियन बनने का सपना टूटने लगा है। ये बच्चे छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पुरई गांव के हैं। इन्हें ओलंपिक का सपना दिखाने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) भूल गया है। स्थानीय स्तर पर भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

बता दें भारतीय खेल प्राधिकरण ने बच्चों का जिम्मा उठाया था। अंतरराष्ट्रीय स्वीमिंग पूल से लौटकर एक बार फिर वह गांव के तालाब में तैराकी सीख रह हैं। वहीं बासी भात खाने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं प्रतियोगिता करीब आने के दौरान ये बच्चे 25 किलोमीटर दूर पिकअप वाहन बुक कर जाते हैं। वहीं उस समय डाइट को मेंटेन करने के लिए उधारी और चंदे के पैसे से चना सहित अन्य चीजें खरीद रहे हैं।

दरअसल, इन बच्चों को साई द्वारा गुजरात गांधी नगर अंतरराष्ट्रीय आवासीय अकादमी के लिए 2018-2019 में चयनित किया था। जहां केंद्रीय खेल मंत्री ने उनकी तारीफ भी की थी। गांधी नगर में एक वर्ष तक बच्चे वहां ट्रेनिंग लिए। इसके बाद कोरोना के दौरान सभी खेल और अकादमी को बंद करने की घोषणा कर दी गई। सब को घर भेज दिया गया। सब कुछ ठीक होने के बाद फिर से वापस बुलाया जाना था। लेकिन लगभग तीन वर्ष से ज्यादा समय बीत गया इनकी सुध लेने के लिए कोई नहीं आया।

2018 में बच्चों को चयन के बाद लेकर गई थी टीम

बतादें कि दिल्ली की साई की टीम ने बच्चों का सलेक्शन किया था। इसके बाद उन्हें गुजरात गांधी नगर अंतरराष्ट्रीय आवासीय अकादमी भेजा गया। जहां एक साल से ज्यादा समय तक बच्चों ने अभ्यास किया। कोराेना की वजह सभी को वापस गांव भेज दिया गया।

ओलंपिक के लिए करवाई जा रही थी तैयारी

अंतरराष्ट्रीय अकादमी में बच्चों को ओलंपिक के स्तर की तैयारी करवाई जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच ट्रेनिंग दे रहे थे। खिलाड़ियों के परफार्मेंस में भी काफी सुधार हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर उनके लिए बड़ी चुनौती है।

क्या कहना है खिलाड़ियों का

खिलाड़ी लोकेश रिगरी ने कहा, गुजरात में जाने के बाद उम्मीद जगी थी कि देश के लिए कुछ करेंगे। पदक जीतेंगे। अब सुविधाएं नहीं हैं और न ही कोई सुध लेने वाला।

खिलाड़ी भूमिका ओझा ने कहा, रोजाना तालाब में अभ्यास करते हैं। प्रतियोगिता करीब आने पर चंदा इक्ट्ठा कर फीस जमा करते हैं, तब जाकर हिस्सा ले पाते हैं। अब ओलंपियन बनने का सपना टूटने लगा है।

खिलाड़ी चंद्रकला ओझा ने कहा, गुजरात गांधी नगर से कोरोना के समय सभी को घर भेज दिया गया था। सब कुछ सही होने के बाद भी साई की ओर से अब तक किसी ने सुध नहीं ली है।

छत्तीसगढ़ तैराकी संघ के सचिव साई राम जाखड़ ने कहा, साई से बात की गई है। बच्चों प्रतियोगिताओं के लिए जो सुविधा हो सकती है वह उपलब्ध करवाई जा रही है। भारतीय खेल प्राधिकरण को पत्र लिख कर बच्चों की मदद करने का प्रयास किया जाएगा।