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रायपुर। सड़क दुर्घटना में घायल 29 वर्षीय युवक के दाएं फेफड़े और रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से फेफड़ा खराब हो गया था। एक विशेष प्रकार के द्रव्य काइल के रिसाव व जमाव से युवक बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में जटिल सर्जरी कर चिकित्सकों ने उसे नया जीवन दिया है। इस आपरेशन की खास बात यह थी कि मरीज के चोट की जगह को पहचानने के लिए आपरेशन से एक घंटे पहले उसे 100 ग्राम घी व मेथिलीन ब्लू 10 एमएल दिया गया।

तीन महीने में 28 किलो कम हो गया था मरीज का वजन

हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष के डा. कृष्णकांत साहू ने बताया कि पेशे से पेंटर युवक का मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट होने के बाद दाईं छाती में चेस्ट ट्यूब डाला गया लेकिन चेस्ट ट्यूब में खून न आकर सफेद दूध जैसा पदार्थ बाहर निकलने लगा। इस बीच मरीज के चेस्ट ट्यूब से रोज लगभग तीन से साढ़े तीन लीटर सफेद द्रव्य काइल निकलता था। तीन महीने में मरीज का वजन 28 किलो कम हो गया था।

तीन माह तक अस्पतालों में भटकता रहा मरीज, लाखों किए खर्च

मरीज जो भी खाता, उसका संपूर्ण पोषक तत्व दुधिया पदार्थ के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता था। इलाज के लिए मरीज तीन माह तक बड़े निजी अस्पतालों में भटकता रहा। लाखों रुपये खर्च हो गए लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद आंबेडकर अस्पताल के एसीआइ में पहुंचा। यहां कार्डियक सर्जरी विभाग में जांच के बाद उसके आपरेशन की तैयारी की गई।

आंबेडकर अस्पताल में हुआ निश्शुल्क इलाज

डा. कृष्णकांत ने बताया कि पेचीदा व जटिल सर्जरी होने की वजह से चोट की जगह को पहचानना बहुत मुश्किल था। ऐसे में घी और मेथिलीन ब्लू दिया गया। मरीज का फेफड़ा काइल के कारण पूर्णतः खराब हो गया था, लेकिन जटिल सर्जरी कर उसे राहत दी गई। पूरा इलाज आयुष्मान योजना के तहत निश्शुल्क किया गया।