रायपुर .छत्तीसगढ़ में इन दिनों हाथी आतंक से जान और धान दोनों खतरे में हैं.हाथी प्रभावित इलाकों में किसानों के दिन-रात खेत-खलिहान में डटे रहने से हाथी-मानव द्वंद्व का खतरा बढ़ गया है एवं वन अमला इससे बेहद चिंतित भी है. कहीं-कहीं पर वन अमला हाथियों के आगे पीछे लगातार निगरानी में लगा है. वन अफसर किसानों से अपील भी कर रहे है कि वे अपनी जान की चिंता करें फसल की नहीं. वन विभाग फसल की क्षतिपूर्ति का समुचित मुआवजा देगा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी प्रदेश के हाथी प्रभावित इलाकों में करीब 224 हाथी है जो करीब 13-14 दलों में विचरण कर रहे हैं. इसमें सर्वाधिक खतरनाक दल महासमुंद जिले में विचरण कर रहा है जहां 50 से ज्यादा गांवों के किसान दहशत में है लेकिन उन्हें पेड़ों पर मचान बनाकर खेत-खलिहानों की रखवाली करने बाध्य होना पड़ रहा है.महासमुंद में उत्पाती हाथियों की दहशतगर्दी से ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की जा रही है. इसके अलावा हाथियों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और ग्रामीणों को इसकी सूचना भी दी जा रही है ताकि किसानों व ग्रामीणों की हाथियों से पर्याप्त दूरी बनी रहे.हाथी प्रभावित इलाकों में आदिवासी ग्रामीण किसान जान जोखिम में डालकर खेतों में धान की रखवाली कर रहे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि इस बार
अतिरिक्त फायदा होगा. इसलिये वे हर हालत में हाथियों से फसल बचाने में लगे है, दूसरी ओर हाथी खुशबू सूंघकर धान फसल को टारगेट बना रहे हैं .प्रदेश में इस साल अच्छी बारिश के साथ धान फसल भी अच्छी हुई. कृषि विभाग की माने तो इस बार धान का रिकार्ड उत्पादन होगा, करीब 125 लाख मी. टन का उत्पादन अनुमानित है.हाथी प्रभावित इलाकों में भी दहशतजदा किसान खेतों में ही डटे हुए हैं. खलिहान ही उनका घर हो गया है जहां धान की खरही है.