मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। जैसे ही सरकार और आम लोगों को लगता है कि तनाव शांत हो गया है। वैसे ही फिर एक और घटना सामने आ जाती है। अब मणिपुर के कांगपोकपी जिले में भीड़ ने सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दो बसों में आग लगा दी। इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि घटना उस समय की है, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच लगातार हिंसा बढ़ रही है। हिंसा कर रहे लोगों के एक समूह ने मणिपुर की बसों को सपोरमीना में रोक दिया और बस चालक से कहा कि वह देखना चाहते हैं कि दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं बैठा है। उन्होंने आगे बताया कि तभी भीड़ में से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी। हालांकि, इस दौरान जनहानि की कोई खबर सामने नहीं आई।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
तनाव की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई। ये राजधानी इम्फाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। इस जिले में कुकी आदिवासी ज्यादा हैं। गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का ऐलान किया था। देखते ही देखते इस बंद ने हिंसक रूप ले लिया। उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने वन विभाग के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया। 27-28 अप्रैल की हिंसा में मुख्य तौर पर पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे।