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बिल्डरों को पुनर्जीवन दिया सुप्रीम कोर्ट ने

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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर को अपना अकाउंटिंग मेथड चुनने का हक है। उसी के अनुसार आयकर विभाग को कर निर्धारण करना होगा। सरकार की ओर से तर्क दिया गया था, कि सारे बिल्डर प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद ही,आयकर जमा करेंगे। जिसके कारण सरकार को नुकसान होगा।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है, कि यदि अकाउंट की दृष्टि से दोनों प्रक्रिया सही हैं।ऐसी स्थिति में बिल्डर जिस माध्यम से अपना एकाउंटिंग तैयार करता है। उसे वैध माना जाएगा।
बिल्डर्स के पास टैक्स एसेसमेंट के दो विकल्प होते हैं।एक, जब प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है। तब, उसकी आय की गणना होती है। दूसरा प्रोजेक्ट के प्रतिशत के आधार पर टैक्स की गणना की जाती है।जो बिल्डर प्रोजेक्ट कंपलीशन मेथड के अनुसार अकाउंटिंग कर रहे थे। उसे आयकर विभाग ने गलत बताया था। 2018 में यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट गया था। जहां पर बिल्डर्स के पक्ष में फैसला आया था।आयकर विभाग ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस में इनकम टैक्स की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।