बेंगलुरु । बार काउंसिल ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का नाम कार्यक्रम के निमंत्रण से हटा दिया। जिसमें मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए.एस. बोपन्ना को आमंत्रित किया गया था। शिवकुमार ने कहा कि अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने आकर मुझसे मुलाकात की। उन्होंने कहा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है और यह मेरी प्राथमिकता भी नहीं है। मैं देश के कानून का सम्मान करता हूं और अधिवक्ता संघ कोई भी निर्णय ले सकता है। मैं अधिवक्ता संघ या न्यायपालिका को शर्मिंदा नहीं करना चाहता। कानून अपना काम करेगा।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने बार काउंसिल के कार्यक्रम में शिवकुमार के शामिल होने पर आपत्ति जाहिर की थी। भाजपा नेता ने तर्क दिया था कि चूंकि न्यायाधीश इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, इसकारण अदालतों में कई मामलों का सामना कर रहे शिवकुमार उनके साथ मंच साझा नहीं कर सकते। मैसूरु बार काउंसिल द्वारा 12 अगस्त से दो दिवसीय राज्य स्तरीय अधिवक्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आयोजकों ने शिवकुमार के नाम के साथ निमंत्रण प्रकाशित किया था। हालाँकि, आपत्तियों के बाद, उनका नाम हटाकर निमंत्रण को दुबारा मुद्रित किया गया।
भाजपा नेता कुमार ने कहा कि शिवकुमार के खिलाफ मामले उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि, क्या इसतरह के व्यक्ति के लिए न्यायाधीशों के साथ मंच साझा करना सही है? अधिवक्ता संघ को इस प्रश्न का उत्तर देना चाहिए और क्या न्यायाधीश इससे सहमत हैं? प्रोटोकॉल सभी पर लागू होना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में कर्नाटक हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भी लिखा था। शिवकुमार ने सुरेश कुमार की आपत्ति पर टिप्पणी कर कहा, मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। सुरेश कुमार ने उस समय आपत्ति क्यों नहीं जताई जब बी.एस. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे? उन पर भी कई मुकदमे चल रहे थे।