नई दिल्ली । केन्द्र की मोदी सरकार ने स्लीपर बसों में सुरक्षा के लिए नए मानदंड अपनाने पर जोर दिया है। इसके लिए अब एग्जिट गेटों तक रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाए जाएंगे। साथ ही हर बर्थ पर एक हथौड़ा रखना होगा। हाल में स्लीपर बसों में हुए हादसे के बाद आगजनी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने नए मानदंड जारी किए हैं, जिसे जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया गया है। जिसके मुताबिक किसी भी आपात स्थिति में बस के अंदर मौजूद यात्रियों को तेजी से बाहर निकलने के लिए सभी नई स्लीपर कोच बसों के हर बर्थ पर एक हथौड़ा रखना होगा। इसके अलावा विमानों की तरह सीटों और बर्थ से लेकर सभी एग्जिट गेटों तक रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाने का निर्देश दिया गया है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने मानदंडों के अनुपालन के लिए निर्देश जारी किए हैं। ये जरूरी बदलाव महाराष्ट्र में नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग पर हाल ही में बस में लगी आग की घटना को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिसमें 25 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए थे।
स्लीपर कोचों में बदलाव इस बात को ध्यान में रखकर किया गया है कि आग लगने जैसी आपात स्थिति में यात्रियों को बचने के लिए बहुत कम समय मिलता है। प्रत्येक बर्थ पर हथौड़े और कड़े शीशे की पहुंच से यात्रियों को आग लगने या किसी अन्य दुर्घटना की स्थिति में शीशा तोड़कर बाहर निकलने में त्वरित मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा कि जब तक बचावकर्मी शीशा तोड़कर लोगों को बचाते हैं तब तक अधिकांश यात्रियों की मौत बस में दम घुटने से हो जाती है। इसके चलते मंत्रालय ने हर सीट पर हथौड़ा रखने का निर्देश दिया है। हादसे के वक्त अधिकांश यात्रियों को एग्जिट गेट व खिड़की की जानकारी नहीं मिल पाती है।
इसलिए आपातकालीन दरवाजे सहित सभी निकास द्वारों तक गलियारे पर रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगाने का निर्देश दिया गया है। यहां तक कि निकास बिंदुओं के सभी किनारों पर जल्दी से पता लगाने के लिए रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप होने चाहिए। बता दें कि हाल के वर्षों में, स्लीपर कोच बसों का बेड़ा बढ़ गया है क्योंकि सड़क नेटवर्क में काफी सुधार हुआ है, और ये इंटरसिटी नाइट ट्रिप के लिए अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन बस टिकटिंग एग्रीगेटर्स ने शहरों में अपने ग्राहक आधार का विस्तार करने में मदद की है।