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बंगाल के राज्यपाल और शिक्षा मंत्री में जुबानी जंग जारी, बोस ने केंद्र और राज्य सरकार को लिखा गोपनीय पत्र

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पश्चिम बंगाल में सरकार और राजभवन के बीच तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने एक बार फिर राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर जमकर हमला बोला और उनपर राज्य में उच्च शिक्षा प्रणाली को बर्बाद करने और विश्वविद्यालयों में कठपुतली शासन चलाने का आरोप लगाया। इस पर बोस ने शनिवार को चेतावनी दी कि आधी रात में बड़ी कार्रवाई की जाएगी। अब बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने दो गोपनीय सीलबंद पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।

इन लोगों को लिखा गया पत्र
आधी रात आने पर राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि बोस ने दो गोपनीय सीलबंद पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से एक राज्य सचिवालय नबन्ना और दूसरा केंद्र सरकार के लिए है। हालांकि, अधिकारी ने अभी यह खुलासा नहीं किया कि इन पत्र में क्या लिखा है।
पत्रों में क्या लिखा है, इसके बारे में बाद में पता चलेगा। बातचीत में उन्होंने संकेत दिया कि यह पत्र राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच हालिया जुबानी जंग पर हो सकते हैं।
संयोग से, बोस ने राजभवन में मुख्य सचिव एचके द्विवेदी के साथ एक बैठक करने के कुछ घंटे बाद पत्रों पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, बैठक के विषय का खुलासा राज्य सरकार या राजभवन ने नहीं किया।
इससे पहले, दिन में बोस ने राज्य के शिक्षा मंत्री की कड़ी आलोचना और हमलों की पृष्ठभूमि में आधी रात को बहुत बड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। राज्यपाल बोस ने कहा था कि आज आधी रात होने का इंतजार कीजिए, आप देखेंगे कि कार्रवाई क्या होती है।
इसके कुछ ही मिनटों में, शिक्षा मंत्री बसु ने राज्यपाल का नाम लिए बिना उन्हें शहर में नया वैंपायर (पिशाच) कहकर उनका मजाक उड़ाया और लोगों को उनसे सावधान रहने की सलाह तक डे डाली। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि आधी रात तक देखें, कार्रवाई देखें, सावधान! सावधान! सावधान! शहर में नया वैंपायर (पिशाच)! नागरिकगण कृपया अपना ध्यान रखें। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार कि राक्षस प्रहर’ का बेसब्री से इंतजार है।
विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच जारी वाकयुद्ध जारी है। शुक्रवार को बसु ने राज्यपाल पर राज्य में उच्च शिक्षा प्रणाली को बर्बाद करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की हालिया कार्रवाई का उद्देश्य उच्च शिक्षा प्रणाली को दिवालिया बनाना है।
साथ ही कहा कि राज्यपाल संबंधित राज्य विश्वविद्यालयों की विधियों को नष्ट कर रहे हैं। ऐसी नियुक्तियां किसी से परामर्श किए बिना की गई हैं। वह तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि कानून के अनुसार राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। उन्हें सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि हम राज्यपाल की ऐसी कार्रवाई पर चुप नहीं रहेंगे।