दरअसल एम्स के विशेषज्ञों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट उठने से पहले डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष मामला मेंशन किया। भाटी ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से एम्स के विशेषज्ञ पसोपेश में हैं। एम्स ने सुप्रीम कोर्ट से अपना आदेश वापस लेने का आग्रह किया क्योंकि महिला के पेट में पल रहा भ्रूण जीवित है और उसके जन्म लेने की अनुकूल संभावना है। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इस अवस्था में ये गर्भपात नहीं बल्कि एक तरह से हत्या ही होगी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस मामले की गंभीरता को समझा और कहा कि वो इस मामले में बुधवार को बेंच का गठन कर सुनवाई करेंगे।
दरअसल एम्स ने ऐश्वर्य भाटी को सूचित किया है कि चूंकि भ्रूण में जीवन के अंश दिखाई दिए हैं इसलिए उसके दिल की धड़कन रोके बिना गर्भपात नहीं हो सकता। ऐसे में ये गंभीर दुविधा की स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट में ये साफ हो जाना चाहिए कि क्या माता पिता बच्चे को जन्म दे सकते हैं। या उसे बाद मे गोद देने की प्रक्रिया की जा सकती है।
ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाहिता को अपने 26 हफ्ते के अनचाहे गर्भ को गिराने की इजाजत दे दी थी। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि वो पहले ही दो बच्चे की मां है और प्रसव बाद के अवसाद सहित स्वास्थ्य संबंधित कई तरह की दिक्कतों से जूझ रही है। वो आर्थिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर भी इस तीसरे बच्चे को पालने में अक्षम है।
अदालत भी मानती है कि जब मां ही नहीं चाहती तो यह अदालत याचिकाकर्ता के निर्णय का सम्मान करती है।याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वो अपने दूसरे बच्चे को स्तनपान करा रही थी। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक भी लेक्टरल अमेनोरिया की इस स्थिति के दौरान गर्भ नहीं ठहरता है। लेकिन उसे पता ही नहीं चला कि वो कब फिर से गर्भवती हो गई।जब तक पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी।कोर्ट ने एम्स के विशेषज्ञों को मेडिकल जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था और अदालत ने निर्देश दिया कि मेडिकल सलाह पर ऊष्मायन की प्रक्रिया से भी गर्भपात कराया जा सकता है।