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अमेरिका की रेटिंग घटी, भारत की बरकरार, स्‍टॉक मार्केट में तेजी आना बाकी,

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अमेरिका को बड़ा झटका लग गया है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अमेरिका की रेटिंग के आउटलुक को घटा दिया है. रेटिंग एजेंसी के इस फैसले से अमेरिकी सरकार नाखुश है. मूडीज ने यूएस क्रेडिट रेटिंग के आउटलुक को स्थिर से घटाकर निगेटिव कर दिया है. रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि अमेरिका के बढ़ते फिस्कल डेफिसिट को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.
इसके अलावा फिच समेत कई अन्य रेटिंग एजेंसी ने भी अमेरिका की रेटिंग को कम कर दिया है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने रेटिंग एजेंसी के फैसले को लेकर के असहमति जताई है. वहीं, मूडीज ने भारत पर अपने भरोसे को कायम रखा है. घरेलू शेयर बाजारों में अभी और तेजी देखने को मिल सकती है.

भारत पर जताया है भरोसा
भारत में कई पॉजिटिव संकेत देखने को मिल रहे हैं, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि भारत की इकोनॉमी तेजी से ग्रोथ करेगी. इसके साथ ही शेयर बाजार में भी अभी और तेजी आना बाकी है. मूडीज ने भारत को लेकर के कहा है कि हमें उम्मीद है कि भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2023 में करीब 6.7 फीसदी, 2024 में 6.1 फीसदी और 2025 में 6.3 फीसदी बढ़ेगी.

क्यों घटाई मूडीज ने अमेरिका की रेटिंग?
मूडीज ने बताया है कि अमेरिकी में अगले साल इलेक्शन होने हैं. ऐसे में अगर 2025 से पहले कर्ज के बोझ को कम करने के लिए सरकार की तरफ से कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया दया तो स्थिति में सुधार की संभावना काफी कम है. इसी वजह से ही रेटिंग एजेंसी ने अमेरिका का आउटलुक निगेटिव कर दिया है.

कई रेटिंग एजेंसी पहले ही घटा चुकी हैं रेटिंग
इससे पहले फिच की तरफ से भी अगस्त में रेटिंग को घटा दिया गया था. इसके अलावा एसएंडपी भी काफी पहले ही अमेरिका सरकार की रेटिंग को घटाकर के AA प्लास कर चुका है. सरकार के बजट घाटे की बात की जाए तो अब वह बढ़कर 1700 अरब डॉलर हो गया है. वहीं, एक साल पहले यह घाटा 1380 अरब डॉलर था.

इंडिया की क्या है रेटिंग?
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा है. मूडीज का मानना है कि देश में मजबूत घरेलू मांग की वजह से निकट भविष्य में वृद्धि की रफ्तार कायम रहेगी. प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण निर्यात कमजोर रहने से मूडीज ने अपने ‘वैश्विक वृहद आर्थिक परिदृश्य-2024-25’ में कहा कि घरेलू मांग में सतत बढ़ोतरी भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रही है.