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आयकर विभाग ने कंपनियों के जवाब को किया खारिज, एपल-अमेजन और गूगल के खिलाफ पांच हजार करोड़ रुपये के कर की जांच

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सार
आयकर विभाग विज्ञापन, मार्केटिंग, प्रमोशन खर्च, रॉयल्टी भुगतान, ट्रेडिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट व मार्केटिंग सपोर्ट सेवाओं से संबंधित लेनदेन पर तीनों टेक दिग्गजों की जांच कर रहा है। एपल की भारतीय यूनिट ओरिजिनल उपकरणों की खरीदारी और उन्हें घरेलू बाजार में बेचने को लेकर जांच के दायरे में है। कर भुगतान नहीं करने के मामले में आयकर विभाग एपल, गूगल और अमेजन की भारतीय शाखाओं की जांच कर रहा है। मामला 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के संभावित कर से जुड़ा है। 2021 में शुरू हुई एक जांच के तहत अधिकारियों ने इन कंपनियों से उनकी ट्रांसफर प्राइसिंग प्रैक्टिस के संबंध में जवाब मांगा है। इस दौरान विभाग ने कंपनियों की ओर से पेश किए गए जवाब को भी खारिज कर दिया है। हालांकि, एपल ने कहा कि यह कर के दायरे से बाहर है। एपल का भारत में 2022-23 के दौरान कारोबार 48 फीसदी बढ़कर करीब 50,000 करोड़ रुपये पहुंच गया। शुद्ध मुनाफा बढ़कर 2,229 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

100 करोड़ रुपये से ज्यादा देनदारी अमेजन पर
जांच के मुताबिक, अमेजन के ग्राहक डिलीवरी शुल्क का 50% विज्ञापन, मार्केटिंग और प्रमोशन खर्च का हिस्सा माना गया। इससे कर देनदारी 100 करोड़ से ज्यादा हो गई। गूगल इंडिया के लिए यह मुद्दा कुछ ऐसे लेनदेन का है, जिनकी जानकारी फॉर्म 3 सीईबी में नहीं दी गई है। इसे अंंतरराष्ट्रीय कर के रूप में माना जाता है, जिससे गूगल पर देनदारी बनती है।

यह है ट्रांसफर प्राइसिंग
जब एक बहुराष्ट्रीय समूह के बीच ट्रांसफर उत्पादों या सेवाओं का मूल्य निर्धारित किया जाता है तो उसे ट्रांसफर प्राइसिंग कहा जाता है। यह ऐसा तरीका है, जिसका इस्तेमाल उन कीमतों को निर्धारित करने में किया जाता है जिन पर समूह की अलग-अलग इकाइयां एक-दूसरे से लेनदेन करती हैं।

रेजरपे: भरने पड़ सकते हैं 30 करोड़ डॉलर
डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म रेजरपे ने अपनी मूल कंपनी को एक क्रॉस-कंट्री विलय के माध्यम से भारत में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इस वजह से रेजरपे को 25 से 30 करोड़ डॉलर तक कर भुगतान करना पड़ सकता है। यह विलय अमेरिका में पंजीकृत कंपनी और उसकी भारतीय शाखा के बीच होगा। रेजरपे और उसके निवेशकों ने विलय का कम मूल्यांकन आंका है, जबकि 2021 में इसका मूल्यांकन 7.5 अरब डॉलर से ज्यादा था।