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सरगुजा जिले में हसदेव बचाव आंदोलन के धरना स्थल में आग से वहां बनाए गए झोपड़ीनुमा पंडाल खाक हो गए

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सरगुजा जिले में हसदेव बचाव आंदोलन के धरना स्थल में आग से वहां बनाए गए झोपड़ीनुमा पंडाल खाक हो गए। हरिहरपुर में हसदेव कोयला खदानों के विरोध में यह आंदोलन चल रहा है। हसदेव अरण्य बचाव समिति 755 दिन से आंदोलन कर रही है। इसी बीच रविवार रात को यह घटना हुई है। हालांकि आग कैसे लगी या लगाई गई यह साफ नहीं हो पाया है।

इसकी शिकायत उदयपुर थाने में की गई है। वहीं आंदोलनकारियों का कहना है कि, नए कोयला खदानों की स्वीकृति के विरोध में यह आंदोलन चलता रहेगा। यहां पीकेईबी खदान में कोल उत्खनन करीब 11 वर्षों से चल रहा है।

विधानसभा में पारित है अशासकीय संकल्प

भूपेश सरकार के कार्यकाल में परसा कोल खदान की स्वीकृति के लिए NOC दी गई और खदान स्वीकृत हो गया है। हसदेव क्षेत्र में 17 कोल ब्लॉक प्रस्तावित हैं। इसके एक बड़े क्षेत्र को भूपेश सरकार ने लेमरु एलिफेंट रिजर्व में प्रस्तावित कर दिया है।

हसदेव अरण्य इलाके में कोई नया उत्खनन न करने और नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति नहीं दिए जाने को लेकर विधानसभा में अशासकीय संकल्प भी सर्वसम्मति से पारित किया गया है। नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का विरोध स्थानीय ग्रामीण कर रहे हैं।

रात दो बजे आग से पूरा धरनास्थल जला

ग्रामीण हरिहरपुर में करीब 755 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। नए कोल ब्लॉक की स्वीकृति और पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीण धरना स्थल पर दिन में आंदोलन करते हैं। इसके लिए लकड़ी के स्थाई पंडाल बनाए गए थे। लोगों का कहना है कि, होली की रात करीब दो बजे अज्ञात तत्वों ने धरना के लिए बनाए गए पंडाल में आग लगा दी। आंदोलन से जुड़े मुनेश्वर आर्मो ने इसकी लिखित शिकायत उदयपुर थाने में दर्ज कराई है।