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एक में ‘डबल इंजन’ की खुशी तो दूसरे में मायूसी,जानिए पूरा मामला

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रायपुर। सिंगल और डबल इंजन की सरकार का धरातल पर प्रभाव देखना है तो छत्तीसगढ़-ओडिशा के सीमावर्ती गांव धनपुंजी-चांदली आइए। रायपुर से 310 किलोमीटर दूर बस्तर स्थित ग्राम धनपुंजी में रहने वाली देवरानी से ओडिशा के चांदली गांव में रहने वाली उनकी जेठानी व अन्य स्वजन मुंह फुलाए हुए हैं।

वजह, छत्तीसगढ़ की निवासी देवरानी सावित्री को महतारी वंदन योजना में हर महीने एक हजार रुपये मिल रहे हैं। जेठानी व अन्य स्वजन ओडिशा में हैं और इस योजना से वंचित है।

जेठानी कहती हैं कि उनके स्वजन कहते हैं कि यदि उनका घर छत्तीसगढ़ में होता तो उन्हें भी महीने के हजार रुपये मिल रहे होते। गौरतलब है कि केंद्र के साथ छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार है। उधर, ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) की सरकार है। गांव की सीमा बदलने से न केवल योजनाएं, बल्कि परिवारों की कहानी और दशा भी बदल जाती है।

घर छत्तीसगढ़ में और खेत ओडिशा में

धनपुंजी के कुछ ग्रामीणों का घर छत्तीसगढ़ में है और उनके खेत ओडिशा में हैं। इसी तरह गांव के ही कुछ परिवारों के घर ओडिशा के चांदली में हैं और उनके खेत धनपुंजी में हैं। ओडिशा के चांदली के किसानों को धान का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है, जबकि उनके ही परिवार के अन्य भाइयों का घर धनपुंजी में आने से उनका धान 3,100 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रहा है।

ओडिशा का भाई उपेक्षित महसूस कर रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में रह रहे ग्रामीणों को भाजपा की डबल इंजन की तीन महीने की सरकार से कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है। एक ही परिवार के किसान दो सरकारों की योजनाओं का मूल्यांकन भी कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले ग्रामीणों के तराजू और विकास के पैमाने पर ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजद) पर छत्तीसगढ़ की भाजपा की डबल इंजन सरकार भारी पड़ती दिख रही है।

मायूस हो जाते हैं किसान

धनपुंजी के किसान मालवीय मिसई कहते हैं कि महतारी वंदन योजना का हमारी माताओं-बहनों को लाभ मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में ज्यादा अच्छी सुविधाएं हैं। छत्तीसगढ़ के तेंदूपत्ता संग्राहकों को 5500 रुपये प्रति मानक बोरा कीमत व बोनस मिल रहा है और धान प्रति क्विंटल 3,100 रुपये में बिक रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के किसान खुश हैं। ओडिशा के किसान विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित होने के चलते मायूस हो जाते हैं।

ओडिशा सरकार की योजनाएं नहीं छोड़ पाई छाप

धनपुंजी के सरपंच नीलांबर बघेल के मुताबिक, ओडिशा में बीजद की सरकार है। सरकार ने पात्र किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए कालिया योजना शुरू की। इसके तहत किसानों को 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। लाभ कुछ ही किसानों को मिलता है, जबकि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार सभी वर्ग के किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीद रही है।

छत्तीसगढ़ के हिस्से की महिलाएं खुश

लोकसभा और ओडिशा विधानसभा के चुनावों से पहले ओडिशा सरकार ने मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को 10 लाख रुपये तक के ब्याज मुक्त ऋण देने की घोषणा की है। चांदली गांव के महिलाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ की महिलाएं महतारी वंदन योजना का लाभ पाने से खुश हैं।

सौतेलापन महसूस कर रहा आधा परिवार

ओडिशा राज्य की स्थापना एक अप्रैल 1936 को हुई थी। आजादी के पहले यह क्षेत्र बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। यह बिहार और बंगाल से अलग हो नया राज्य बना था। जब अविभाजित मध्य प्रदेश व ओडिशा की सीमा निर्धारित हुई तो इस गांव की जनसंख्या कम थी।

धनपुंजी में दो हजार और चांदली की आबादी ढाई हजार है। दोनों राज्य की सरकारें ग्रामीणों से अलग-अलग दर से लगान वसूल रही हैं। ओडिशा के हिस्से में आने वाले ग्रामीणों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में सुविधाएं ज्यादा हैं। ओडिशा के ग्रामीण चाहते हैं कि अब उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार अपने अधीन कर ले।