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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, ये कहावत नवा रायपुर के राखी गांव की 17 साल की यामिनी ने चरितार्थ कर दी

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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। ये कहावत नवा रायपुर के राखी गांव की 17 साल की यामिनी ने चरितार्थ कर दी। यामिनी कैंसर को पटखनी देने वाली वो योद्धा है, जिसने चित्रकला और अध्यात्म के जरिए बीमारी से उबरने की जिद ठान ली। इससे वह कठिन यात्रा में भी मानसिक रूप से मजबूत बनी रही। बोन कैंसर जैसी बीमारी को हराने के लिए यामिनी ने अपने घर की दीवारों को ऐसे रंगा, मानो आसपास की सारी दुनिया अपनी मुट्ठी में कर ली हो। उसने घर की चहारदीवारी पर को मानचित्र, हरियाली, नटराज से लेकर पेड़ की छांव की शक्ल दे दी।

इस बारे में वह कहती है- हम सभी सिर्फ परेशानियों पे बात करते हैं, कोई सॉल्यूशन पर बात नहीं करता। मैंने भी अपनी परेशानी के बारे में सोचने से ज्यादा सॉल्यूशन पर ध्यान दिया। मेरा सॉल्यूशन ये था कि मैं रंगों से सराबोर रहूं। आप देख सकते हैं कि आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूं, ठीक से चल पा रही हूं और ये सब हुआ मेरी कला की वजह से।

यामिनी के सर्जन डॉ. रूद्र प्रताप (एमएस ऑर्थोपेडिक्स) कहते हैं यामिनी में गजब का हौसला है। बीमार होने के बाद भी उसका जिज्ञासु होना तो उसे अलग ही लेवल में लेकर जाता है।