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केन्द्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में जशपुर में माटी के वीर पदयात्रा का भव्य आयोजन

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रायपुर :केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में आज जशपुर नगर में माटी के वीर पदयात्रा आयोजित हुई। जशपुर के बालाछापर से शुरू हुई यह पदयात्रा लगभग सात किलोमीटर तक की थी, जो कि विभिन्न चौक, चौराहों एवं मार्गाें से होते हुए रणजीता स्टेडियम पहुंची। इसका उद्देश्य धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर जनजातीय समुदायों की विरासत और देश के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देश-दुनिया को बताना और सम्मानित करना है। माटी के वीर पदयात्रा को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह था। पदयात्रा में शामिल लोगों के स्वागत-सम्मान में जगह-जगह सुन्दर रंगोलियां और कलाकृतियां बनाई गई थी। गम्हरिया चौक पर जनजातीय समुदायों के प्राची अस्त्र-शस्त्र एवं वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। कार्यक्रम स्थल एवं पदयात्रा के दौरान आदिवासी नर्तक दलों द्वारा गीत और नृत्य का प्रदर्शन किया गया।

इस पदयात्रा में उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव, आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम, वित्त मंत्री एवं जशपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंक राम वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, सांसद श्री राधेश्याम राठिया एवं श्री चिंतामणी महराज, विधायक श्रीमती गोमती साय, श्रीमती रायमुनि भगत, श्री राम कुमार टोप्पो, श्री सुशांत शुक्ला, राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती प्रियम्बदा सिंह जूदेव सहित श्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, श्री रणविजय सिंह जूदेव सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में युवा और नागरिकगण शामिल हुए।

जशपुर नगर के बालाछापर से निकली पदयात्रा विभिन्न मार्गाें और चौक चाराहों से होते हुए शहर के हृदय स्थल रणजीता स्टेडियम पहुंची। पूरे जशपुर नगर में इस पदयात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। पदयात्रा में शामिल लोगों पर पुष्प वर्षा की गई। पदयात्रा में बस्तर के किलेपाल से आए जनजातीय नर्तक दल के कलाकारों ने ककसार नृत्य प्रस्तुत किया गया। पदयात्रा का विभिन्न समाज और संगठनों के लोगों ने भी जगह-जगह पदयात्रियों का स्वागत-सम्मान किया। पदयात्रा में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों सहित माई भारत से जुड़े 10 हजार से अधिक वॉलेंटियर शामिल हुए।