लखनऊ। यूपी में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स से मजबूत बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने वाले अखिलेश यादव क्या 2025 में अपनी रणनीति बदलेंगे? सवाल उठने लगा है कि अखिलेश यादव के लिए 2024 अच्छा रहा। उन्होंने समाजवादी पार्टी को माय यानी मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकालकर गैर यादव पिछड़ा और दलित समाज के भी स्वीकार्य बनाने में सफलता हासिल की है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतकर देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद भी अखिलेश को अन्य प्रदेशों में तबज्जो नहीं मिली। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया का स्वरूप बदलता दिख रहा है। प्रदेश में मजबूत आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ी थी, लेकिन बीजेपी को मात देने में सफल नहीं रही। ऐसे में आप ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ छोड़ा है। दरअसल आप को लगने लगा है कि कांग्रेस का वोट बैंक आप की तरफ शिफ्ट होना संभव नहीं है। आपसे गठबंधन कर कांग्रेस ही फायदे में रहेगी। आपके बदले रुख के बाद इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों के बीच भी हलचल तेज हो गई है।