रायपुर 26 नवम्बर 2020
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरुप बीजापुर जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के कारगर क्रियान्वयन के फलस्वरुप विगत एक वर्ष में 10 प्रतिशत सुपोषण दर में आशातीत वृद्धि हुई है। यह सब विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर कुपोषण एवं एनीमिया को कम करने के लिये सकारात्मक प्रयास से किया गया है।
प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बीजापुर जिले में महिलाओं में एनीमिया के कारण कम वजन के बच्चों का जन्म तत्पश्चात् कुपोषण एक गंभीर समस्या है। जिले के बच्चों, किशोरी बालिकाओं, गर्भवती माताओं एवं शिशुवती माताओं में एनीमिया व पोषण स्तर की कमी पायी जाती है। वजन त्यौहार 2019 के आधार पर जिले में कुल 3 हजार 632 बच्चे गंभीर कुपोषित तथा 7 हजार 100 बच्चे मध्यम कुपोषित पाये गये थे, इस दौरान जिले में कुपोषण का प्रतिशत 38.50 था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 2 लाख 55 हजार 230 में से महिलाओं की आबादी एक लाख 26 हजार 594 है, जो करीब 49.6 प्रतिशत है। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार जिले में 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की कुल एनीमिक महिलाएं 68.7 प्रतिशत लगभग 86 हजार 970 पाये गये। जिसमें एनीमिक पीड़ित 47.9 प्रतिशत गर्भवती मातायें थी। वहीं 6 से 59 माह आयु वर्ग के 51.3 प्रतिशत बच्चों को एनीमिक ग्रसित पाया गया।
जिले में कुपोषण, मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर एवं एनीमिया को कम करने हेतु वर्तमान में संचालित शासकीय योजनाआंे के अतिरिक्त सकारात्मक प्रयास की जरुरत को मद्देनजर रखते हुए ‘‘बीजापुर सुपोषण मिशन’’ कार्ययोजना तैयार की गयी। इस दिशा में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत बीजापुर सुपोषण मिशन 2 अक्टूबर 2019 से शुभारंभ किया गया। जिसके अंतर्गत अतिरिक्त आहार के रुप में सभी बच्चों, गर्भवती माताओं, शिशुवती माताओं, शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं तथा 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को अण्डा, मूंगफल्ली चिक्की और पौष्टिक बिस्किट प्रदाय किया जा रहा है। वहीं सभी बच्चों एवं शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को गर्म भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस तरह जिले के 27 हजार 883 बच्चों, 4 हजार 663 शिशुवती माताओं सहित 2 हजार 751 शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं तथा 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की 10 हजार 811 एनीमिक महिलाओं को बीजापुर सुपोषण मिशन के तहत् लाभान्वित किया जा रहा है। इसके साथ ही बीजापुर सुपोषण मिशन अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से जिला अस्पताल तथा ब्लाकों के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में गंभीर कुपोषित बच्चों को उपचारार्थ भर्ती कर उनके स्वास्थ्य में सुधार लाया जा रहा है। वहीं जिला अस्पताल सहित 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती माताओं, शिशुवती माताओं तथा कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य जांच किया जा रहा है। बीजापुर सुपोषण मिशन के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हेतु जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण वाटिका विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है और वर्तमान में प्रारंभिक चरण में मनरेगा से अभिसरण कर जिले के 276 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण वाटिका विकसित कर लिया गया है। इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और हितग्राहियों के घरों पर 819 पोषण बाड़ी विकसित किया गया है, जिसमें मूनगा एवं पपीता के पौधे रोपित करने सहित साग-सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। बीजापुर सुपोषण मिशन में अधिकाधिक सामाजिक सहभागिता के लिये नियमित रुप से ग्राम पंचायतों में स्व-सहायता समूहों, महिलाओं, पंचायत पदाधिकारियों तथा ग्रामीणों की बैठक कर समुदाय में जागरुकता निर्मित कर कुपोषण एवं एनीमिया को दूर करने प्रयास किया जा रहा है।
कोविड-19 के दौरान जब आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद करने का निर्णय लिया गया, तब हितग्राहियों को पौष्टिक भोजन की सुलभता सुनिश्चित करने हेतु सूखा राशन चावल, दाल, सोयाबीन बड़ी, आटा, आलू और चना वितरण किया गया। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं के द्वारा गृह भ्रमण कर बच्चों का वजन भी किया गया। इसके साथ ही बच्चों के सेहत का ध्यान रखने माताओं तथा पालकों को समझाईश दी गयी। राज्य शासन द्वारा जब सितम्बर 2020 को आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्म भोजन प्रदाय करने का निर्णय लिया गया, तब जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हितग्राहियों को गर्म भोजन की सुलभता सुनिश्चित करने हेतु सतत् मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सभी विभागों के अधिकारियों को सौंपी गयी है।
इन सभी सकारात्मक प्रयासों का उत्साहजनक परिणाम मिला और अब तक 2 हजार 779 गंभीर एवं मध्यम कुपोषित बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गये हैं। जिससे जिले में कुपोषण की दर 38.50 प्रतिशत से घट कर 28.52 प्रतिशत हो गया है। अब कुपोषित बच्चों की संख्या 10 हजार 732 से घट कर 7 हजार 953 हो गयी है। वर्तमान में बीजापुर सुपोषण मिशन को योजनाबद्ध ढंग से संचालित करने के लिये जिले में मनरेगा, पशुधन विभाग सहित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से अभिसरण कर 40 ग्राम पंचायतों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा अण्डा उत्पादन के लिए कुक्कुटपालन शुरु किया गया है। इन महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित अण्डे बीजापुर सुपोषण मिशन के हितग्राहियों को प्रदाय किया जायेगा।