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आंदोलन खत्म कराने को लेकर सरकार गंभीर नहींः कांग्रेस

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केन्द्र सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागरः मोहम्मद असलम

रायपुर/27 दिसंबर 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को एक महीने से ज्यादा समय हो गया लेकिन केन्द्र सरकार आंदोलन को खत्म कराने अब तक कोई ठोस पहल नहीं कर सकी है। सरकार किसानों की मांग को लगातार नजरअंदाज कर विपक्ष को किसानों को बहकाने का आरोप लगाकर समय बर्बाद कर रही है। ताकि किसान थक जाएं और अलाव ठंडी पड़ जाए। लेकिन समय बितने के साथ किसान और मजबूत होकर आंदोलन को विस्तार दे रहे हैं। हजारों लोग रोज नई दिल्ली के लिए गांवों से कूच कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का संबोधन भी किसानों को विश्वास नहीं दिला पाया है। किसान कानून रद्द करने की लगातार मांग कर रहे हैं। यह आंदोलन अपनी ऊंचाइयों की ओर बढ़ता ही जा रहा है इससे देश को अरबों रुपए का नुकसान होना स्वाभाविक है। सरकार की जिद्द के चलते प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ रही है, किसान परिवार सहित दिल्ली पहुंच रहे हैं। ट्रैक्टर की ट्रालियों को ही आंदोलनकारियों ने स्थाई आशियाना बना लिया है। यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार पूंजीपतियों के बहकावे में आकर आखिर किसानों की मांग को पूरा करने से पीछे क्यों हट रही है? आखिर यह देश के किसान हैं उनका हौसला क्यों पस्त किया जा रहा है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि लोकतंत्र की जड़े तभी मजबूत होगी जब अन्नदाता का सम्मान बढ़ेगा और किसानों की बात सुनी जाएगी। सरकार को झुककर जिंदादिली का मिसाल पेश करना चाहिए, क्योंकि अकडऩा तो मुर्दों की निशानी होती है। सरकार पूंजीपतियों के दबाव में है। तभी तो किसानों और विपक्षी दलों की मांग को मानने एवं सुनने से साफ इंकार कर रही है। देश में भाजपा के नीतियों की पहचान किसानों के साथ वादाखिलाफी करने के रूप में बनती जा रही है। छत्तीसगढ़ में भी वादाखिलाफी करने के कारण ही किसानों ने डॉ रमन सिंह की भाजपा सरकार को उखाड़ फेंका था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की नीतियों और योजनाओं के कारण छत्तीसगढ़ में किसानों की आय में वृद्धि हुई है और वे खुशहाल हैं उनका सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में खेत खलिहान में जमीन को फाड़ कर अन्न पैदा करने वाले मेहनतकश किसानों की पीड़ा और सीमाओं पर मुश्किल हालातों में प्राणों को जोखिम में डालकर देश की रक्षा करने वाले जवानों की तकलीफ से सरकार को कोई सरोकार एवं हमदर्दी नहीं है। देश का जवान भी इन्हीं किसान परिवारों से आता है। खुले आसमान के नीचे 3 डिग्री सेल्सियस तापमान में केंद्र सरकार से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान फरियाद कर रहे हैं और अपनी जायज मांग पर अमल की मांग कर रहे हैं, लेकिन असंवेदनशील सरकार का अमानवीय रुख एवं अडिय़ल रवैया अहंकार से सराबोर है। सरकार को विभिन्न राज्य में जाकर किसानों से बात करने और उन में फूट डालने की कोशिश करने की जहमत उठाए बिना, दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में आंदोलनरत किसानों से चर्चा करना चाहिए और संसद का संयुक्त सत्र बुलाकर तीनों कृषि बिलों को तत्काल वापस लेने की घोषणा करना चाहिए।