जांजगीर-चांपा, 31 दिसंबर 2020
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से हो रहे आजीविका संवर्धन के कार्यों ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर इसने लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले हैं। कोविड-19 से निपटने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में भी मनरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को अप्रभावित रखा। नए संसाधनों ने इस काबिल भी बना दिया है कि अब विपरीत परिस्थितियों में वे दूसरों की मदद कर रहे हैं।
लॉक-डाउन में जब लोग रोजी-रोटी की चिंता में घरों में बैठे थें, तब जांजगीर-चांपा के सीमांत किसान खम्हन लाल बरेठ अपनी डबरी से मछली निकालकर मुनाफा कमाया। डबरी के आसपास की जमीन में उगाई गई सब्जियांे से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हुई। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के बीच भी उनका 14 सदस्यों का परिवार आराम से गुजर-बसर किया। मनरेगा के तहत खेत में बनायी गई डबरी में मछली पालन कर खम्हन ने अतिरिक्त आय का साधन बनाया । वे बरसात में धान की फसल के बाद सब्जी की खेती करते है।
जिले के मालखरौदा विकासखंड के चरौदा गांव के किसान खम्हन लाल के खेत में निर्मित डबरी ने उनके जीवन की दशा और दिशा बदल दी है। मनरेगा के अंतर्गत 20 मीटर लंबी, 20 मीटर चैड़ी एवं 10 मीटर गहरी निजी डबरी ने जीवन आसान कर दिया है। इस डबरी के निर्माण के दौरान खम्हन लाल के परिवार के साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी कुल 656 मानव दिवसों का सीधा रोजगार मिला। खम्हन लाल और उनकी पत्नी ने 38 दिन साथ काम कर 6346 रूपए की मजदूरी भी प्राप्त की। खम्हन लाल बताते हैं कि डबरी निर्माण के पहले वे धान की फसल के बाद मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन जब से डबरी बनी है वे धान की खेती के साथ मछली पालन भी कर रहे हैं। डबरी के आसपास चारों ओर सब्जी-भाजी तथा फलों के पेड़ भी लगाए हैं। पिछले दो वर्षों से वे मछली पालन और सब्जी बेचकर सालाना करीब 50 हजार रूपए की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। मनरेगा ने उनकी जिंदगी बदल दी है। डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है। अभी डबरी के आसपास नमी वाली जगहों पर फल और सब्जियां उगा रहे हैं। यहां हम लोगों ने केला, पपीता, कटहल, मुनगा, अमरूद, हल्दी, मिर्च, लहसुन, तरोई, टमाटर, लौकी, मखना और बरबट्टी लगाया है। लॉक-डाउन के दौरान सब्जी की जो भी पैदावार हुई, उसे बाजार में बेचने के साथ-साथ गांव के जरूरतमंद परिवारों को भी दिया है। मुश्किल समय में लोगों की मदद कर सकें, इसका सुकुन है।