Home Uncategorized छोटा तालाब गहरीकरण के बाद बना रामकृपाल के आर्थिक लाभ का साधन

छोटा तालाब गहरीकरण के बाद बना रामकृपाल के आर्थिक लाभ का साधन

312
0

सूखे के दौरान गांव के श्रमिकों को रोजगार देकर मनरेगा के तहत हुआ था कार्य

कोरिया 04 जनवरी 2021

कोरिया जिले के सुदूर विकासखण्ड भरतपुर के ग्राम पंचायत कंजिया में स्थित छोटा तालाब अब गांव की एक आय का स्रोत बन चुका है। यहां पुरातन समय से गांव मे दो तालाब बने हुए थे। लंबे समय से बने हुए इस छोटा तालाब का स्रोत धीरे धीरे बंद होता जा रहा था। तब ग्रामीणों की ग्राम पंचायत में रखी गई मांग पर महात्मा गांधी नरेगा के तहत गांव के तालाब का गहरीकरण कार्य कराया गया। इससे एक ओर जहां स्थानीय जनों को सूखे की स्थिति में पर्याप्त रोजगार का साधन मिला वहीं गहरीकरण के बाद इस तालाब में मछली पालन भी प्रारंभ हो गया। ग्राम पंचायत को इससे एक निष्चित आय हो रही है वहीं एक आदिवासी परिवार को प्रति वर्ष एक लाख रूपए तक की आय मिलने से रोजगार की चिंता खत्म हो गई है।
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर के भरतपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कंजिया स्थित है। यहां परंपरागत ढंग से अनुसूचित जनजाति बाहुल्य है। डोंगरीपारा में स्थित यह तालाब यहां रहने वाले ग्रामीणों के निस्तार के अलावा उनके पशुआंे के लिए भी पेयजल का मुख्य स्रोत है। स्थानीय ग्रामीण बतलाते हैं कि यह तालाब लंबे समय से गहरीकरण नहीं किए जाने के कारण पानी कम होने लगा था। जिससे गर्मियों में यह सूखने की कगार पर आने लगा था। इससे पषुओं के लिए पेयजल की बड़ी समस्या होने लगी थी। महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत के तालाब के गहरीकरण के बाद बारिश में तालाब में पानी भरा और ग्राम पंचायत ने इस तालाब में मछली पालन के लिए ठेका इस तालाब के किनारे रहने वाले गांव के ही किसान श्री रामकृपाल सिंह को दे दिया। उन्हे 16 हजार रूपए की राषि में यह तालाब मछली पालन के लिए 10 सालों की लीज में दिया गया।
    तालाब के गहरीकरण के बाद एक ओर जहां ग्राम ंपचायत को लगभग उपयोग हीन हो चुकी उसके परिसंपत्ति का लाभ मिलने लगा वहीं दूसरी ओर एक आदिवासी परिवार को स्थायी रोजगार का एक निश्चित साधन मिल गया। गांव के इस तालाब के किनारे रहने वाले श्री रामकृपाल सिंह निविदा के माध्यम से लीज ले चुके हैं उनके पास लगभग चार एकड़ असिंचित कृषि भूमि है। विषेष रूप से उल्लेखनीय यह है कि बीते दो साल से उनके परिवार को मछली पालन के व्यवसाय से लगभग 1 लाख रूपए की निष्चित आमदनी होने लगी है। इस परिवार के मुखिया श्री रामकृपाल सिंह ने अपनी अतिरिक्त आय के साधन के बारे मंे खुष होकर बताया कि अब काम की कोई चिंता नहीं है। दो साल से उनको अच्छी कमाई हो रही है। मछली उत्पादन के बारे में विस्तार से उन्होने बताया कि वह इस तालाब में हर साल जुलाई अगस्त में 12 किलो बीज डालते हैं और एक साल में दो बार मछली निकालते हैं।एक बार में वह ढाई से तीन क्विंटल मछली निकालते है। जिससे उन्हे लगभग एक लाख रूपए का लाभ होता है। मछली पालन से अतिरिक्त आय पाकर श्री रामकृपाल ने एक अपने असिंचित खेतों के सिंचाई के लिए एक बोरिंग करा लिया है अब वह उन चार एकड़ खेतों में गेंहू की फसल लगाने की तैयारी कर रहे है।