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केन्द्रीय विद्यालय खुल जाने से क्षेत्रीय विद्यार्थियों को मिलेगा फायदा – श्री जय सिंह अग्रवाल

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कोरबा जिले के गोपालपुर के केन्द्रीय विद्यालय का शुभारंभ

    रायपुर, 22 जनवरी 2021

प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा है कि केन्द्रीय विद्यालयों का बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान है। श्री अग्रवाल ने कोरबा के गोपालपुर में केन्द्रीय विद्यालय के शुभारंभ कार्यक्रम में इस आशय के विचार व्यक्त किए। गौरतलब है कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंख‘ ने केन्द्रीय विद्यालय का ऑनलाइन उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजस्व मंत्री ने कहा कि यहां केन्द्रीय विद्यालय की मांग यहां काफी दिनों से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि बहुत प्रयासों के बाद यहां केन्द्रीय विद्यालय खुल पाया है। इसके शुभारंभ हो जाने से कोरबा दर्री गोपालपुर सहित अब क्षेत्रीय बच्चों की शिक्षा प्राप्त करने की बड़ी सुविधा मिलेगी।
    राजस्व मंत्री ने कहा कि एनटीपीसी परिसर में केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 4 का संचालन पूर्व में बालको प्रबंधन द्वारा किया जाता था। निजीकरण के बाद बालको का संचालन वेदांत समूह द्वारा किया जाने लगा। वेदांत समूह प्रबंधन ने केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 4 का संचालन बंद करने का निर्णय लिया जिससे विद्यार्थियों के लिए इस विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा पर प्रश्न चिह्न लग गया। बच्चों के भविष्य को देखते हुए 2007-08 में तत्कालीन केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री अर्जुन सिंह के बिलासपुर आगमन पर मुलाकात कर कोरबा में सिविल सेक्टर का केन्द्रीय विद्यालय स्थापित करने की मांग रखी गई थी। जिस पर उन्होंने केन्द्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की थी। केन्द्रीय मंत्री की घोषणा के अनुरूप इस प्रोजेक्ट विद्यालय को सिविल विद्यालय के रूप में वर्ष 2011 में परिवर्तित किया गया। बीसीपीपी द्वारा संचालित केन्द्रीय विद्यालय में ज्यादातर विद्यार्थियों की संख्या दर्री-जमनीपाली-छुरी-कटघोरा-बांकी-बलगी आदि क्षेत्रों की थी अतएव इसकी स्थापना के लिए गोपालपुर को उपयुक्त समझा गया। राजस्व मंत्री ने कहा कि मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है कि मेरी मेहनत और मेरे द्वारा किए गए अथक प्रयासों का परिणाम है कि अब इस क्षेत्र के बच्चों को अन्यत्र नहीं भटकना पड़ेगा। राजस्व मंत्री ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों केे एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण होने पर उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इस सोच के तहत् 1963 में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू जी द्वारा केन्द्रीय विद्यालय संगठन की स्थापना की गई थी। इस समस्या के निदान के लिए केन्द्रीय विद्यालय संगठन की अहम भूमिका है और आज देश में करीब 1245 स्कूल संचालित हो रहे हैं।
    श्री जयसिंह अग्रवाल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वे क्षेत्र के विकास के लिए कृत संकल्पित हैं और आम नागरिकों की सुविधा के लिए शासन की योजनाओं के तहत जो कुछ भी संभव होगा वे अवश्य करेंगे। विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती संध्या लकड़ा ने बताया कि वर्तमान समय में विद्यालय में कक्षा पहली से 10वीं तक दो सेक्शन और ग्यारहवीं एवं बारहवी के एक-एक सेक्शन संचालित हो रहे हैं और वर्तमान में पंजीकृत विद्यार्थियों की कुल संख्या 1024 है।

विद्यालय की अध्यक्ष व कोरबा जिला कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद क्षेत्र के विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही सर्वांगीण विकास के अवसर प्राप्त होंगे। उल्लेखनीय है कि विद्यालय उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने ऑन लाईन उद्घाटन किया और कोरबा की जनता को बधाईयां और शुभकामनाएं दीं।
    विद्यालय के निर्माण पर लगभग 14 करोड़ 70 लाख रूपये की लागत आई जिसमें आवश्यक सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं ताकि विद्यार्थियों को पठन-पाठन कार्य के लिए किसी प्रकार की असुविधा न हो। लगभग दस एकड़ के विद्यालय परिसर में बनाए गए भव्य भवन के साथ ही विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से बॉस्केटबॉल, बैडमिंटन, बॉलीबॉल, हैण्डबॉल कोर्ट भी बनाए गए हैं।
    इस गरिमामयी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत एवं कोरबा सांसद श्रीमती ज्योतसना महंत केे क्षेत्रवासियों के लिए भेजे गए संदेश का वाचन किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व कटघोरा विधायक पुरूषोत्तम कंवर, पाली तानाखर विधायक मोहित राम केरकेट्टा, रामपुर विधायक ननकी राम कंवर, नगर पालिक निगम कोरबा महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद, सभापति श्री श्याम सुन्दर सोनी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अभिभावकगण उपस्थित रहे।